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थाना चांपा के पुलिस पेट्रोलिंग आरक्षक पर अवैध शराब व्यापार में शामिल होने और कमीशन लेने के आरोप में शिकायत

थाना चांपा के पुलिस पेट्रोलिंग आरक्षक पर अवैध शराब व्यापार में शामिल होने और कमीशन लेने के आरोप में शिकायत

थाना चांपा के पुलिस पेट्रोलिंग आरक्षक पर अवैध शराब व्यापार में शामिल होने और कमीशन लेने के आरोप में शिकायत दर्ज की गई है, जो पुलिस महकमे के लिए एक गंभीर मामला है। पुलिस विभाग के जिन अधिकारियों का कार्य समाज में कानून व्यवस्था बनाए रखना है, उन पर ही कानून के विपरीत कार्य करने के आरोप लगने से विभाग और जनता के विश्वास को गहरा आघात पहुंचता है। इस घटना ने पुलिस महकमे में हो रही गतिविधियों और उसकी पारदर्शिता पर सवाल खड़ा कर दिया है। मामला क्या है? जांजगीर-चांपा जिले के थाना चांपा के पुलिस पेट्रोलिंग विभाग में कार्यरत आरक्षक शंकर सिंह राजपूत पर एक ड्राइवर अनिल खुटे ने गंभीर आरोप लगाए हैं। अनिल का आरोप है कि आरक्षक शंकर सिंह राजपूत ने उसे अवैध रूप से शराब व्यापार करने के लिए प्रेरित किया और इसके बदले कमीशन की मांग की। अनिल ने पुलिस अधीक्षक जांजगीर के पास इसकी शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उसने इस बात का उल्लेख किया है कि शंकर सिंह राजपूत उसे शराब व्यापार के लिए उकसा रहे थे और उसे भरोसा दिलाया कि उसके साथ कुछ नहीं होगा क्योंकि वे खुद एक पुलिसकर्मी हैं।
शिकायतकर्ता के अनुसार, शंकर सिंह राजपूत ने उसे भरोसा दिलाया कि उसकी गिरफ्तारी का कोई डर नहीं है क्योंकि उसकी पुलिस थाने में उच्च पदस्थ अधिकारियों के साथ अच्छी जान-पहचान है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि शंकर सिंह राजपूत ने उससे कहा कि वह उसे हर तरह से बचाने में सक्षम है, बस उसे नियमित रूप से कमीशन के रूप में धनराशि देनी होगी। शिकायतकर्ता अनिल खुटे का कहना है कि उसने फरवरी से अगस्त तक नगद और ऑनलाइन माध्यम से शंकर सिंह राजपूत को कमीशन के रूप में मोटी रकम दी। अवैध व्यापार के सबूत शिकायतकर्ता अनिल खुटे का दावा है कि उसने 27 फरवरी 2024 को सुबह 11:27 बजे शंकर सिंह राजपूत के कहने पर 3000 रुपये की राशि फोन पे के माध्यम से पूनम सिंह राजपूत के खाते में ट्रांसफर की। इसके अतिरिक्त, उसने यह भी कहा कि उसने हर महीने लगभग 2000 रुपये की शराब की खेप खरीदी और फरवरी से अगस्त माह तक 70,000 रुपये नगद भी दिए। शिकायत में इन लेन-देन का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया है। अनिल खुटे ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि शंकर सिंह राजपूत ने उसे धमकी दी कि यदि वह शराब नहीं बेचेगा या कमीशन नहीं देगा तो उसे और उसके परिवार को झूठे मामलों में फंसाकर जेल भेज दिया जाएगा। इससे शिकायतकर्ता और उसके परिवार पर मानसिक और सामाजिक दबाव बढ़ गया है, और वे भयभीत हैं। धमकियों के चलते भय का माहौल शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि शंकर सिंह राजपूत उसके घर पर आकर उसके परिवार को धमकाते हैं और कहते हैं कि यदि वे उनकी बात नहीं मानेंगे, तो उन्हें नशीले पदार्थों के झूठे मामलों में फंसाया जा सकता है। अनिल खुटे के अनुसार, शंकर सिंह राजपूत ने कहा कि उनके पास इतना कानूनी दम है कि वे किसी को भी किसी मामले में फंसा सकते हैं और 10 वर्ष की सजा दिलवा सकते हैं। शिकायतकर्ता ने बताया कि उसके परिवार का एकमात्र कमाने वाला वही है, और आरक्षक की धमकियों के कारण पूरा परिवार डरा हुआ है। परिवार के लोग अपने घर से बाहर निकलने में भी डर महसूस कर रहे हैं और अनहोनी की आशंका से भयभीत हैं। इस तरह की धमकियों से न केवल परिवार बल्कि आस-पड़ोस के लोग भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। पुलिस महकमे के प्रति विश्वास में कमी इस घटना ने समाज में पुलिस महकमे के प्रति आम लोगों के विश्वास को कमजोर कर दिया है। जिस विभाग का मुख्य उद्देश्य समाज में शांति और सुरक्षा बनाए रखना है, जब उसी के अधिकारी कानून का उल्लंघन करते हुए पाए जाते हैं, तो यह पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। यह घटना विभागीय अधिकारियों के बीच भी चर्चा का विषय बन गई है। इस घटना ने स्पष्ट किया है कि पुलिस महकमे के भीतर भी अनुशासन और ईमानदारी की कमी हो सकती है, जिसे समय रहते ठीक करना आवश्यक है। पुलिस अधीक्षक से कार्रवाई की मांग अनिल खुटे ने पुलिस अधीक्षक से इस मामले में कठोर कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने अपनी शिकायत में इस बात पर जोर दिया है कि यदि समय रहते उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है। अनिल का कहना है कि वे अब अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और चाहते हैं कि पुलिस अधीक्षक इस मामले में निष्पक्ष जांच करें ताकि उनके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। पुलिस विभाग की प्रतिक्रिया इस मामले में पुलिस विभाग की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालाँकि, इस तरह की घटनाओं में विभागीय कार्रवाई अक्सर धीमी होती है, लेकिन इस मामले में शिकायतकर्ता द्वारा पर्याप्त प्रमाण प्रस्तुत करने के कारण उम्मीद की जा रही है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाएगा। विभागीय स्तर पर उच्च अधिकारियों द्वारा की गई जांच और कार्रवाई से ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि पुलिस विभाग इस मामले में क्या कदम उठाएगा और आरक्षक शंकर सिंह राजपूत के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी। इस तरह के मामले समाज के लिए एक चेतावनी हैं कि कैसे कभी-कभी कानून के रक्षक ही कानून के उल्लंघन में संलिप्त हो सकते हैं। इस घटना ने समाज में यह संदेश दिया है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने वाली संस्थाओं में भी सुधार की आवश्यकता है। पुलिस महकमे को चाहिए कि वे ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई करें ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों और जनता का विश्वास बना रहे। यह घटना समाज के लिए एक गंभीर प्रश्न खड़ा करती है कि कैसे पुलिसकर्मी, जिनका कर्तव्य कानून का पालन करना और समाज में शांति बनाए रखना है, वे ही कानून के विरुद्ध कार्य करते हैं। ऐसे में यदि पुलिस महकमे द्वारा उचित कार्रवाई नहीं की जाती, तो यह भविष्य में और भी गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है। अनिल खुटे की शिकायत ने पुलिस महकमे में हो रहे अवैध गतिविधियों की ओर एक गंभीर इशारा किया है। इस मामले में उचित और निष्पक्ष जांच आवश्यक है ताकि दोषी को सजा मिले और पीड़ित परिवार को न्याय मिले। पुलिस विभाग को ऐसे मामलों में पारदर्शिता और सख्ती दिखानी होगी ताकि जनता का उन पर विश्वास बना रहे।

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